18 May, 2008: Recording: Click here
Talked about the meaning of Mangalacharan.
Agenda for next swadhyaya: What is Parmatma, and why we bowed to Parmatma in Mangalacharan
Thursday, May 29, 2008
Wednesday, May 21, 2008
Lecture 1: Mangalacharan
Recorded lecture is at : http://cid-2ab80bd7158552ef.skydrive.live.com/browse.aspx/Ishtopdesh
मंगलाचरण करने के कारण:
१. कारण परमात्मा: हर जीव मे जो परमात्मा होने की सामर्थ्य है, उसे कारण परमात्मा कहते हैं। इसके दो भेद हैं:
_ १.१ त्रिकाली कारण परमात्मा: निगोद से सिद्ध परमात्मा तक सबमे परमात्मा होने की शक्ति है। ऐसी शक्ति के धारक जीवो को त्रिकाली कारण परमात्मा कहते हैं।
_ १.२ क्षणिक कारण परमात्मा: कार्य परमात्मा बनने के लिये जो निश्चय रत्नत्रय रूप शुद्धोपयोग अवस्था चाहिये, उससे परिणित आत्मा को क्षणिक कारण परमात्मा कहते हैं।
आगमभाषा में, द्वितिय शुक्लध्यान के धारक जीवो को क्षणिक कारण परमात्मा के नाम से जाना जाता है।
२. कार्य परमात्मा: अरिहंत, सिद्ध प्रभु
मंगलाचरण करने के कारण:
- ग्रंथ की निर्विघ्न समाप्ति
- पुण्य की प्राप्ति
- पाप का नाश: वक्ता का दानान्तराय, श्रोता का लाभान्तराय
- नास्तिकता का परिहार
१. कारण परमात्मा: हर जीव मे जो परमात्मा होने की सामर्थ्य है, उसे कारण परमात्मा कहते हैं। इसके दो भेद हैं:
_ १.१ त्रिकाली कारण परमात्मा: निगोद से सिद्ध परमात्मा तक सबमे परमात्मा होने की शक्ति है। ऐसी शक्ति के धारक जीवो को त्रिकाली कारण परमात्मा कहते हैं।
_ १.२ क्षणिक कारण परमात्मा: कार्य परमात्मा बनने के लिये जो निश्चय रत्नत्रय रूप शुद्धोपयोग अवस्था चाहिये, उससे परिणित आत्मा को क्षणिक कारण परमात्मा कहते हैं।
आगमभाषा में, द्वितिय शुक्लध्यान के धारक जीवो को क्षणिक कारण परमात्मा के नाम से जाना जाता है।
२. कार्य परमात्मा: अरिहंत, सिद्ध प्रभु
Tuesday, May 20, 2008
Definitions/Glossary
This section contains all the definitions/lakshans used in the scripture:
परमात्मा:
१. कारण परमात्मा: हर जीव मे जो परमात्मा होने की सामर्थ्य है, उसे कारण परमात्मा कहते हैं। इसके दो भेद हैं:
_ १.१ त्रिकाली कारण परमात्मा: निगोद से सिद्ध परमात्मा तक सबमे परमात्मा होने की शक्ति है। ऐसी शक्ति के धारक जीवो को त्रिकाली कारण परमात्मा कहते हैं।
_ १.२ क्षणिक कारण परमात्मा: कार्य परमात्मा बनने के लिये जो निश्चय रत्नत्रय रूप शुद्धोपयोग अवस्था चाहिये, उससे परिणित आत्मा को क्षणिक कारण परमात्मा कहते हैं।
आगमभाषा में, द्वितिय शुक्लध्यान के धारक जीवो को क्षणिक कारण परमात्मा के नाम से जाना जाता है।
२. कार्य परमात्मा: अरिहंत, सिद्ध प्रभु
परमात्मा:
१. कारण परमात्मा: हर जीव मे जो परमात्मा होने की सामर्थ्य है, उसे कारण परमात्मा कहते हैं। इसके दो भेद हैं:
_ १.१ त्रिकाली कारण परमात्मा: निगोद से सिद्ध परमात्मा तक सबमे परमात्मा होने की शक्ति है। ऐसी शक्ति के धारक जीवो को त्रिकाली कारण परमात्मा कहते हैं।
_ १.२ क्षणिक कारण परमात्मा: कार्य परमात्मा बनने के लिये जो निश्चय रत्नत्रय रूप शुद्धोपयोग अवस्था चाहिये, उससे परिणित आत्मा को क्षणिक कारण परमात्मा कहते हैं।
आगमभाषा में, द्वितिय शुक्लध्यान के धारक जीवो को क्षणिक कारण परमात्मा के नाम से जाना जाता है।
२. कार्य परमात्मा: अरिहंत, सिद्ध प्रभु
Recorded Pravachans, Link to scripture
- Audio of Pravachan's are posted at Click here
- Book - Hindi: Click here
- Book -English translation: click here
Monday, May 19, 2008
Introduction
This blog will contain summaries of Pravachan by pandit Shailesh Ji from Sonagiri Ji, Madhya Pradesh.
Here are the details on Pravachan:
Orator: Pt Shailesh Ji, Sonagiri, Madhya Pradesh.
Time: Every Sunday 4:45 pm to 5:45 pm Pacific Time
How to dial-in: 712-429-0690 and the passcode is 551395#
Language: Hindi
Scripture: Ishtopdesh
( Scripture link: Will be providing later )
About the Scripture: Please read: http://www.jainsamaj.org/literature/bookrev10-211202.htm
Here are the details on Pravachan:
Orator: Pt Shailesh Ji, Sonagiri, Madhya Pradesh.
Time: Every Sunday 4:45 pm to 5:45 pm Pacific Time
How to dial-in: 712-429-0690 and the passcode is 551395#
Language: Hindi
Scripture: Ishtopdesh
( Scripture link: Will be providing later )
About the Scripture: Please read: http://www.jainsamaj.org
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